एक बीमाधारक को क्लेम राशि देने में आनाकानी करेन वाली बीमा कंपनी को
इन्दौर के उपभोक्ता फोरम ने अच्छा सबक सिखाया। एक मामूली कागजी गलती की आड़
में बीमा कंपनी पीड़ित महिला को मेडीक्लेम देने से इंकार कर रही थी। फोरम
ने पीड़ित महिला को १ लाख ९० हजार रुपए देने के आदेश दिए हैं।
इन्दौर की सुलोचन जैन ने उपभोक्ता फोरम में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, पेरामाउंट हेल्थ केयर सर्विस व क्योरवेल हॉस्पिटल के विरुद्ध सेवा में कमी का मामला दर्ज करते हुए कहा था कि उनका स्वास्थ्य खराब होने के कारण परिजनों ने क्योरवेल हॉस्पिटल में भर्ती किया था। स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर कुम्बाहिल हॉस्पिटल एवं हार्ट इंस्टीट्यूट मुंबई में भर्ती किया गया। इलाज के बाद परिवादी ने बीमा कंपनी के समक्ष क्लेम प्रस्तुत किया तो कंपनी ने यह कहकर क्लेम देने से इंकार कर दिया कि परिवादी को २४ वर्षों से हाईपरटेंशन की बीमारी है। परिवादी ने फोरम को बताया कि उन्हें २ वर्ष से बीमारी है, अस्पताल की गलती के कारण २४ वर्ष लिखा गया। फोरम ने परिवादी द्वारा प्रस्तुत तथ्यों को स्वीकार कर बीमा कंपनी को सेवा में कमी का दोषी मानते हुए 1.90 लाख की राशि तत्काल देने के आदेश दिए।
इन्दौर की सुलोचन जैन ने उपभोक्ता फोरम में नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, पेरामाउंट हेल्थ केयर सर्विस व क्योरवेल हॉस्पिटल के विरुद्ध सेवा में कमी का मामला दर्ज करते हुए कहा था कि उनका स्वास्थ्य खराब होने के कारण परिजनों ने क्योरवेल हॉस्पिटल में भर्ती किया था। स्वास्थ्य में सुधार नहीं होने पर कुम्बाहिल हॉस्पिटल एवं हार्ट इंस्टीट्यूट मुंबई में भर्ती किया गया। इलाज के बाद परिवादी ने बीमा कंपनी के समक्ष क्लेम प्रस्तुत किया तो कंपनी ने यह कहकर क्लेम देने से इंकार कर दिया कि परिवादी को २४ वर्षों से हाईपरटेंशन की बीमारी है। परिवादी ने फोरम को बताया कि उन्हें २ वर्ष से बीमारी है, अस्पताल की गलती के कारण २४ वर्ष लिखा गया। फोरम ने परिवादी द्वारा प्रस्तुत तथ्यों को स्वीकार कर बीमा कंपनी को सेवा में कमी का दोषी मानते हुए 1.90 लाख की राशि तत्काल देने के आदेश दिए।
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