Tuesday, March 27, 2012

बजाज कम्पनी को बाईक के बदले रुपए लौटाने के आदेश

रतलाम,25 सितम्बर (इ खबर टुडे)। विभिन्न मोटर साईकिल कंपनिया जैसे विज्ञापन दिखाती है,वास्तव में वाहन उतने अच्छे नहीं होते। विज्ञापनों से प्रभावित होकर क्रेता वाहन खरीद लेते है लेकिन बाद में उन्हे परेशानियां उठाना पडती है। ऐसे ही एक मामले में जिला उपभोक्ता फोरम ने बजाज आटो लिमिटेड पूना और इसके स्थानीय डीलर शैरानी बजाज मोटर्स प्रा.लि.को सेवा में त्रुटि का दोषी मानते हुए ग्राहक का वाहन वापस लेकर राशि लौटाने के निर्देश दिए है।
 जिला उपभोक्त विवाद प्रतितोषण फोरम में कोठारीवास निवासी सुशील कुमार गांधी ने परिवाद पत्र दायर कर बताया था कि बजाज आटो लिमिटेड पूना द्वारा निर्मित बजाज एक्स सीडी 125 मोटर साईकिल,बजाज के स्थानीय डीलर शीरानी बजाज मोटर्स प्रा.लि.के माध्यम से छियालिस हजार चार सौ रुपए में दिनांक 29 मई 2008 को क्रय की थी। वाहन विक्रेता तथा निर्माता कंपनी द्वारा मोटर साईकिल के सम्बन्ध में दो वर्ष या तीस हजार किमी. चलने तक की वारंटी दी गई थी।
 गाडी खरीदने के बाद से ही क्रेता को मोटर साईकिल कई तरह की परेशानियां देने लगी। कभी गाडी एयर ले लेती तो कभी लोड नहीं लेती। कंपनी द्वारा घोषित एवरेज भी नहीं मिल पा रहा था।  परिवादी ने फ्री सर्विसिंग के दौरान डीलर को अपनी समस्या बताई लेकिन डीलर द्वारा समस्या हल नहीं की गई। पेड सर्विस के समय भी परिवादी ने अपनी समस्या बताई लेकिन समस्या हल नहीं हुई। परेशान होकर परिवादी ने अपने अभिभाषक के माध्यम से एक सूचना पत्र भी प्रेषित करवाया। बाद में परिवादी ने जब अपने स्तर पर जांच कराई तो उन्हे पता चला कि वाहन में निर्माण सम्बन्धी त्रुटि है। विवादित गाडी के माडल में निर्माण संबन्धी त्रुटि होने से बजाज कंपनी ने उक्त माडल का निर्माण ही बन्द कर दिया।
 आखिरकार परिवादी ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत 8 फरवरी 2010 को फोरम के समक्ष परिवाद प्रस्तुत किया।जिला उपभोक्त फोरम ने परिवादी और प्रतिप्रार्थी दोनों पक्षों द्वारा प्रस्तुत साक्ष्यों और तर्को को सुनने के बाद मोटर साईकिल में मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट होने के आरोप सही पाया।
 जिला उपभोक्ता फोरम ने वाहन में मैन्यूफैक्चरिंग डिफेक्ट होने पर बजाज कंपनी और शैरानी बजाज मोटर्स प्रा.लि.को मोटर साईकिल वापस लेकर 46 हजार चार सौ रुपए लौटाने के निर्देश दिए। फोरम ने परिवाद को हुए मानसिक त्रास के लिए दो हजार रुपए तथा वाद व्यय के लिए एक हजार रु.देने के भी निर्देश दिए। एक माह में संपूर्ण राशि नहीं देने पर परिवादी को आठ प्रतिशत ब्याज देने के निर्देश भी फोरम ने दिए है।

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